Wednesday 7 September 2011

आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता

आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, वह केवल इन्सानियत के दुशमन होते हैं। जब-जब उन्होंने कुकृत्य किया है। उससे केवल मानवता ही घायल हुई है  और इन्सानियत को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने अपने कृत्यों से आज तक प्रशंसा की बिजाये सभ्य समाज से नफ़रत ही अर्जित की है। जबकि सभी धर्मों के धर्म शास्त्र में मानवता की सेवा और इन्सानियत की धारणा को श्रेष्टतम स्थान प्रधान किया गया है। आतंकवादियों के कल किये गए, दिल्ली हाई कोर्ट के गेट नं. 5 पर बम विस्फोट से एक बार फिर मानवता और इन्सानियत तार-तार हुई हैं। ऐसे में सभी देश-वासियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो भेड़ की खाल में छिपे भेड़ियों को पहचाने और उनको सजा दिलाने में सरकार का सहयोग करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनावृति न हो। यदि हम ऐसे समय में एक दूसरे पर दोषारोपण ही करते रहेगे। तो वो समाज में आरजकता और सरकार के प्रति अविश्वास की भावना पैदा करने में कामयाब हो जाएंगे।

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